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शब्दयोग सत्संग
२६ जून, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
गीत: तुम तक
ओ…
मेरी हर मनमानी बस तुम तक
बातें बचकानी बस तुम तक
मेरी नज़र दीवानी बस तुम तक
मेरे सुख-दुख आते जाते सारे
तुम तक, तुम तक, तुम तक, सोनिया
तुम तक तुम तक अर्ज़ी मेरी
फिर आगे जो मर्ज़ी
तुम तक तुम तक अर्ज़ी मेरी
फिर तेरी जो मर्ज़ी मेरी
हर दुश्वारी बस तुम तक
मेरी हर होशियारी बस तुम तक
मेरी हर तैयारी बस तुम तक
तुम तक, तुम तक, तुम तक, तुम तक
मेरी इश्क़ खुमारी बस तुम तक
इक तक इक तक, ना तक, गुम सुम
नाज़ुक नाज़ुक दिल से हम तुम
तुम… तुम तुम तुम तुम तुम तुम …
चाबुक नैना मारो
मारो तुम तुम तुम तुम तुम तुम
तुम… मारो ना नैना तुम
मारो ना नैना तुम
तुम तक
चला हूं तुम तक
चलूंगा तुम तक
मिला हूं तुम तक
मिलूंगा तुम तक
तुम तक, तुम तक, तुम तक
तुम तक, तुम तक, तुम तक, तुम तक …
हां उखड़ा उखड़ा
मुखड़ा मुखड़ा
मुखड़े पे नैना काले
लड़ते लड़ते लडे, बढ़ते बढ़ते बढ़े
हां अपना सजना कभी, सपना सजना कभी
मुखड़े पे नैना डाले
पहुंचेगी पार कैसे
नाज़ुक सी नैय्या
तुम तक, तुम तक, तुम तक…
मेरी अकल दीवानी तुम तक
मेरी सकल जवानी तुम तक
मेरी ख़तम कहानी तुम तक
मेरी ख़तम कहानी बस तुम तक
तुम तक…
गीत: तुम तक
संगीतकार: जावेद अली, पूजा
फ़िल्म: राँझना
बोल: इरशाद कामिल
संगीत: मिलिंद दाते